मन मोहात मोहात
मोहात राहीले
मन बावंरे
मन सिंदूर
मन छंद
मन घेई लाटा
दगडांचा आधार
मन निशिगंध
मन एकांत
मन ओंझलीत तारुण्य
गळत संपणारं
मन स्वच्छ निसर्ड
मन तुच्छ हळव
मन भ्रम - भ्रमण
थंड – थंडगार
मन दीर्घ काळ
मन छोटा स्वास
मन ईच्छान्च धरण
विना कारण
मन एक स्वप्न
मनी एकच स्वप्न ??
विरत्या धूक्यात
शोधीत राहीले
मन भ्रमात राहिले !!!
मन भ्रमात राहिले !!!
like it
ReplyDeleteSir, very nicely expressed! Sending a rejoinder
ReplyDeleteमन अथांग अथांग
कुठे त्याचा तळ,
सांग सांग.
मन उधाण ग वारा,
त्यास तुझाच
निवारा!